बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 इतिहास बीए सेमेस्टर-1 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास के नवीन पाठ्यक्रमानुसार प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्राचीन भारत के आर्थिक विचारों के विकास में कौटिल्य के योगदानों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
कौटिल्य के आर्थिक विचारों का विवरण दीजिए।
उत्तर-
कौटिल्य ने अपनी पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में राजा, मन्त्रियों, एवं सरकारी अफसरों के कर्त्तव्यों, प्रशासन सम्बन्धी विधियों का विस्तृत उल्लेख किया है। कौटिल्य के अनुसार अर्थशास्त्र एक निरन्तर चलने वाला क्रम है। अपनी पुस्तक में उसने शहरों तथा ग्रामों की व्यवस्था, न्यायालयों, स्त्रियों के अधिकारों, वृद्धों तथा निःसहायों के पालन-पोषण, विशुद्ध तथा तलाक, राजस्व, थल तथा जल सेना की व्यवस्था, कूटनीति, कृषि, सूत कताई एवं बुनाई तथा अनेक अन्य विषयों की चर्चा की है। कौटिल्य ने प्रचलित आर्थिक विचारधारा के साथ-साथ स्वयं के निजी विचारों का भी उल्लेख किया है जो निम्नलिखित विषयों पर आधारित है
1. भौतिक सम्पदा का स्वभाव एवं उद्देश्य (Nature and Purpose of Material Wealth) - कौटिल्य के अनुसार धन का अर्थ अत्यन्त विस्तृत था। इसके अन्तर्गत उसने मुद्रा, वस्तु, प्राप्त किया हुआ धन, सरकारी अथवा निजी सम्पत्ति, बहुमूल्य धातु, संचित धन, उपयोग किया जाने वाला धन, हस्तान्तरित किया जाने वाला धन सम्मिलित किये थे। उसके अनुसार किसी भी वस्तु में धन के लिए चार विशेषताएँ होनी चाहिए अर्थात् वास्तविकता, उपयोगिता, हस्तान्तरणता और प्राप्य धन। धन के अन्तर्गत कौटिल्य श्रम तथा वन-सम्पदा को भी सम्मिलित करता था। उसने धन प्राप्त करने की विधियों एवं उद्देश्यों के सम्बन्ध में भी अपने विचार व्यक्त किये थे। उसके अनुसार, "जिस प्रकार विद्या को प्रतिक्षण प्राप्त किया जाता है ठीक उसी प्रकार धन को भी कण-कण करके प्राप्त करना चाहिए। कोई भी व्यक्ति जो धन अथवा विद्या प्राप्त करने के लिए आतुर है, उसको किसी भी कण अथवा क्षण की ओर उदासीन नहीं होना चाहिए। धन की प्राप्ति सदैव ही लाभदायक होती है यदि उसको एक अच्छी स्त्री, अच्छे पुत्र अथवा अच्छे मित्र का पालन-पोषण करने या धर्मार्थ के उद्देश्य से प्राप्त किया जाता है।"
2. वार्त्ता (Varta) - प्राचीन विचारकों ने 'वार्त्ता' शब्द का प्रयोग 'राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था' के विज्ञान के सन्दर्भ में किया है। कौटिल्य ने इसके अन्तर्गत कृषि, पशुपालन और व्यापार को सम्मिलित किया था। इन लोगों के लिए राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का इतना अधिक महत्त्व था कि कामंदक के अनुसार यदि यह नष्ट हो गयी तो संसार भी निर्जीव हो जायेगा। कौटिल्य ने वार्त्ता शब्द के स्थान पर अर्थशास्त्र शब्द का प्रयोग किया और अर्थशास्त्र के अन्तर्गत उसने अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, नीतिशास्त्र, व्यायामशास्त्र और सैन्य विज्ञान को सम्मिलित किया।
3. कृषि तथा पशुपालन (Agriculture and Animal Husbandary) - कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कृषि को प्रथम स्थान दिया गया है क्योंकि यह समाज को अनाज, पशु, धन, सोना, वन सम्पदा तथा सस्ता श्रम प्रदान करती है। इस दृष्टि से कौटिल्य के विचार प्रकृतिवादियों के विचारों से बहुत कुछ मिलते थे। वैदिक सामन्तों तथा तत्त्व ज्ञानियों के विरुद्ध कौटिल्य ने इस बात का अनुकरण किया कि ब्राह्मण तथा क्षत्रिय कृषि व्यवस्था को अपना सकते हैं परन्तु शर्त यह है कि ब्राह्मण अपने हाथ से हल नहीं चलायेगा।
4. श्रम की महानता (Dignity of Labour) - कौटिल्य ने अति प्राचीन विचारकों की, 'आश्रम-व्यवस्था' को स्वीकार किया था। वह दास प्रथा के पक्ष में नहीं था। कौटिल्य ने श्रमिकों के अनुशासन के लिए कुछ नियम बनाये थे जिनमें उन श्रमिकों के लिए दण्ड की व्यवस्था थी जो मजदूरी प्राप्त करने के पश्चात काम करने को तैयार नहीं होते थे। कुछ स्थितियों में श्रमिकों को छुट्टी की व्यवस्था की गयी थी।
5. व्यापार (Trade) - कौटिल्य ने अपनी पुस्तक में व्यापार के विकास तथा नियमन सम्बन्धी प्रश्नों पर काफी विस्तृत विवेचन प्रस्तुत की है। इसी प्रकार धर्मशास्त्र और स्मृतियों में भी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में वाणिज्य के महत्त्व को स्पष्ट किया गया है। इनके अनुसार यातायात तथा संदेशवाहन के साधनों को उन्नत करने की जिम्मेदारी राज्य की है, कौटिल्य ने कहा था कि व्यापारियों की सुविधाओं के लिए गृह-भण्डारों तथा विश्राम गृह को निर्मित करने की जिम्मेदारी भी राज्य की है। उन दिनों भारत में स्वतन्त्र व्यापार की प्रथा प्रचलित थी। व्यापार की जाने वाली वस्तुओं पर सीमा-शुल्क तथा प्रशुल्क लगाया जाता था और उनसे जो आय प्राप्त होती थी उन पर राज्य का अधिकार होता था। व्यापार को विकसित करने के लिए राज्य कानून बनाता था। इस प्रकार स्पष्ट है कि उस युग में व्यापार काफी उन्नत अवस्था में था। कौटिल्य ने कुछ वस्तुओं को निर्मित करने तथा विभागीय एजेंसी द्वारा विक्रय करने की सलाह भी राज्य को दी थी।
6. लोक-वित्त (Public Finance) - कौटिल्य ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में राजस्व को प्रमुख स्थान दिया था। उसने स्पष्ट रूप से बताया है कि प्रशासन तथा अन्य सभी क्रियाएँ वित्त पर आधारित होने के कारण, यह अत्यन्त आवश्यक है कि राज्य-कोष की ओर अधिकतम ध्यान दिया जाये। उसके अनुसार राज्य को उद्योगों, वनों की व्यवस्था, कृषि व्यवस्था खान खुदाई, मत्स्य पालन, व्यापार आदि में भाग लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त राज्य को करारोपण से भी आय प्राप्त होती है जो सरकारी विभागों के कार्य संचालन के लिए आवश्यक थी। प्राचीन समय में राजस्व का मुख्य उद्देश्य जनता को चारों पुरुषार्थों को सम्पन्न करने में सहायता प्रदान करना था।
7. जनसंख्या (Population) - प्राचीन विचारकों के लिए अत्यधिक जनसंख्या चिन्ता का कारण नहीं था। वे एक बड़ी जनसंख्या को शक्ति का साधन समझते थे। उनका विश्वास था कि छोटे-छोटे राज्यों में निरन्तर युद्धों तथा चिकित्सा सम्बन्धी सुविधाओं की अपर्याप्तता के परिणामस्वरूप ऊँची मृत्यु दर होने के कारण जनसंख्या कभी भी एक निश्चित सीमा से अधिक नहीं बढ़ सकती। कौटिल्य का सुझाव था कि राजा ऐसे उपनिवेश स्थापित करे, जिनमें विदेशों से आने वाले व्यक्तियों को बसने के लिए सुविधाएँ उपलब्ध हो सकें।
8. कल्याणकारी राज्य (Welfare State) - कौटिल्य का राज्य सम्बन्धी विचार औद्योगिक आधारशीला पर आधारित था। उसके अनुसार राज्य के कार्य संचालन के लिए तीन निर्देशक सिद्धान्त होने चाहिए : प्रथम, राज्य को उद्योगो में भाग लेना चाहिए जो राष्ट्र को स्वावलम्बी बनाने में प्रत्यक्ष रूप से सहायक हो। दूसरे, खेती, सूत, कताई-बुनाई, पशुपालन, दस्तकारी इत्यादि को व्यक्तियों के अधिकार में छोड़ना चाहिए। अन्त में राज्य का कर्त्तव्य है कि वह देखे कि उत्पादन, वितरण तथा उपभोग सम्बन्धी क्रियाओं का संचालन कुशलतापूर्वक तथा निर्धारित नियमों के अनुसार हो। इसका अभिप्राय यह है कि व्यक्तियों पर राज्य का पूर्ण प्रभुत्व था किन्तु इसका उद्देश्य व्यक्तियों के कल्याण में वृद्धि करना था।
9. सामाजिक सुरक्षा (Social Security) - कौटिल्य के समय में सामाजिक सुरक्षा, प्रणाली इतनी विस्तृत नहीं थी जितनी आज है किन्तु कौटिल्य ने जन-कल्याण पर अपने विचार व्यक्त किये हैं। उसके अनुसार राज्य का कर्त्तव्य है कि निर्धनों के लिए धर्मार्थ संस्थाएँ एवं दरिद्रालय स्थापित करें, बेकारों को काम पर लगाये और दुर्बल तथा वृद्ध व्यक्तियों की सुरक्षा का प्रबन्ध करें।
10. ब्याज (Interest) - प्राचीन विचारक ब्याज के विरुद्ध नहीं थे परन्तु वे ब्याज की ऊँची दर के पक्ष में भी नहीं थे। कौटिल्य ब्याज दर के नियमन के पक्ष में था। उसके अनुसार व्याज दर 15% न्यायोचित थी। किन्तु कुछ स्थिति में वह ब्याज की ऊँची दर को भी न्यायोचित समझता था।
11. कीमतों का नियन्त्रण (Control of Prices) - चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियन्त्रित करना महत्त्वपूर्ण समझा जाता था। इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को चालाक तथा बेईमान व्यापारियों की कुरीतियों से बचाना था। खाद्यान्न तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं में व्यापार करने का अधिकार केवल अधिकृत व्यापारियों को ही दिया जाता था जो राज्य द्वारा नियुक्त किये जाते थे। ये व्यापारी घरेलू वस्तुओं पर अधिक से अधिक 8% और विदेशी वस्तुओं पर 10% लाभ ले सकते थे।
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- प्रश्न- ऐतिहासिक युग के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का परिचय दीजिए व भारत में उसके बाद विकसित होने वाली सभ्यता व संस्कृति को चित्रित कीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहाकार कल्हण व आर. सी. मजूमदार का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय ज्ञान प्रणाली के स्रोत पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जदुनाथ सरकार, वी. डी. सावरकर, के. पी. जायसवाल का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारत संस्कृति (भाषाओं) के ज्ञान से अवगत कराइये।
- प्रश्न- नृत्य व रंगमंच की भारतीय संस्कृति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता से मगध राज्य तक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार विपिनचन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्य पाषाण समाज और शिकारी संग्रहकर्ता पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- ऊपरी पुरापाषाण क्रांति क्या थी?
- प्रश्न- प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण युग की जीवनशैली किस प्रकार की थी?
- प्रश्न- के. पी. जायसवाल के विशिष्ट कार्यों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- वी. डी. सावरकर के धार्मिक और राजनीतिक विचार से अवगत कराइये।
- प्रश्न- लोअर पैलियोलिथिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं? 'हड़प्पा संस्कृति' के निर्माता कौन थे? बाह्य देशों के साथ उनके सम्बन्धों के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के विषय में विस्तारपूर्वक बताइये।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर-विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विनाश के क्या कारण थे?
- प्रश्न- लोथल के 'गोदी स्थल' पर लेख लिखो।
- प्रश्न- मातृ देवी की उपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'गेरुए रंग के मृदभाण्डों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मोहन जोदडो' का महान स्नानागार' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व-वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मचर्य आश्रम के कार्य व महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वानप्रस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- सन्यास आश्रम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनुस्मृति में लिखित विवाह के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में दास प्रथा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुरुषार्थ पर लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'संस्कार' पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गृहस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में विवाह तथा सम्पत्ति अधिकारों की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- उत्तर वैदिककाल की राजनीतिक दशा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विदथ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- आर्यों के मूल स्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सभा' के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न. बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदर्शन झील पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अशोक के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताइये कि वह किस प्रकार सिंहासन पर बैठा था?
- प्रश्न- सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अशोक के शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
- प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सारनाथ स्तम्भ लेख पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बृहद्रथ किस राजवंश का शासक था और इसके विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- कल्याणी के उत्तरकालीन पश्चिमी चालुक्य को समझाइए।
- प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आपसूक्ष्म में बताइए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
- प्रश्न- मिहिरभोज की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न-
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम के शासन-काल का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वत्सराज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास में नागभट्ट द्वितीय के स्थान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मिहिरभोज की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार सत्ता का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों का विघटन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- महेन्द्रपाल प्रथम कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए। उत्तर -
- प्रश्न- राजशेखर और उसकी कृतियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राज्यपाल तथा त्रिलोचनपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में प्रतिहारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कन्नौज के प्रतिहारों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश का महानतम शासक कौन था?
- प्रश्न- गुर्जर एवं पतन का विश्लेषण कीजिये।
- प्रश्न- कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों के अन्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चालुक्य राज्य के अंधकार काल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्वी चालुक्य शासकों ने कला और संस्कृति में क्या योगदान दिया है?
- प्रश्न- चालुक्य कौन थे? इनकी उत्पत्ति के बारे में बताइए।
- प्रश्न- वेंगी के पूर्व चालुक्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चालुक्यकालीन धर्म एवं कला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्य संघर्ष के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों की शक्ति के प्रसार का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की उपलब्धियों के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की शासन व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्य- पल्लव संघर्ष का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- परमारों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राजा भोज के शासन काल में चतुर्दिक उन्नति हुई।
- प्रश्न- परमार नरेश वाक्पति II मुंज के शासन काल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राजा भोज के शासन प्रबंध के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइए।
- प्रश्न- परमार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए तथा इस वंश का पतन क्यों हुआ?
- प्रश्न- परमार साहित्य और कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परमार वंश का संस्थापक कौन था?
- प्रश्न- मुंज परमार की उपलब्धियों का आंकलन कीजिए।
- प्रश्न- 'धारा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीयक द्वितीय 'हर्ष' के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धुराज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमारों के पतन के कारण बताइए।
- प्रश्न- राजा भोज एवं चालुक्य संघर्ष का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परमार इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोज परमार की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परमारों की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अर्णोराज चाहमान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए। मोहम्मद गोरी के हाथों उसकी पराजय के क्या कारण थे? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान कौन थे? विग्रहराज चतुर्थ के विजयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान कौन थे?
- प्रश्न- विग्रहराज द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अजयराज चाहमान की उपलब्धियों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज और जयचन्द्र की शत्रुता पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में पृथ्वीराज रासो के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- चाहमानों के विदेशी मूल का सिद्धान्त पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के चन्देलों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गोविन्द चन्द्र गहड़वाल की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वालों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जयचन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्णोराज के राज्यकाल की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चाहमानों (चौहानों) के राजनीतिक इतिहास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ललित विग्रहराज नाटक पर नोट लिखिए।
- प्रश्न- चाहमान नरेश पृथ्वीराज तृतीय के तराइन युद्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चौहान वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामंतवाद पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामंतवाद के पतन के कारण बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में सामंतवाद की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- मौर्य प्रशासन और सामंतवाद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न-
- प्रश्न- वेदों की उत्पत्ति के विषय में बताइए। वेदों ने हमारे जीवन को किस प्रकार के ज्ञान दिये?
- प्रश्न- हिन्दू धर्म और संस्कृति पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- हिन्दू वर्ग की जाति-व्यवस्था व त्योहारों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- 'लिंगायत'' के बारे में बताइए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म के सुधारकों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में आत्मा से सम्बन्धित विचारों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- हिन्दुओं के मूल विश्वासों से अवगत कराइए।
- प्रश्न- उपवास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में लोगों के गाय के प्रति कर्तव्य से अवगत कराइये।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारत आक्रमण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी की भारत विजय के कारणों की सुस्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के पतन के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर मुहम्मद गोरी के आक्रमण के क्या कारण थे?
- प्रश्नृ- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा कैसी थी?
- प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की सामाजिक स्थिति का संक्षिप्त वर्णन करें।
- प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारत की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी लिखें।
- प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारतीय शासकों के तुर्कों से पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भारत में तुर्की राज्य स्थापना के क्या परिणाम हुए?
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी का चरित्र-मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अरबों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- अरब आक्रमण का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तराइन के प्रथम युद्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत पर तुर्कों के आक्रमण के क्या कारण थे?
- प्रश्न- महमूद गजनवी का आनन्दपाल पर आक्रमण का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी का कन्नौज पर आक्रमण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ का विध्वंस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। [
- प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणामों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मोहम्मद गोरी की विजयों के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- भारत पर तुर्की आक्रमण के प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।